Amazon

Sunday, December 9, 2012

उन्हें शिकायत है

उन्हें शिकायत है
बार बार गिर कर भी
मेरे उठ खड़े होने से
तेज़ दर्द में भी मुस्कुराने से
कंगाल हो के भी शाहों से जुबां लड़ाने से
इश्वर के अलावा किसी को भी मालिक न मानने से
मेरे खुद को मिटाने और बनाने से
हाँ और
मेरे अनगिन सपनों से ....
उन्हें शिकायत है
मेरी रीढ़ से
मेरी सत्य की

No comments:

Post a Comment