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Saturday, March 17, 2012

हिम्मत द्या थोड़ी

नका नका मला 
देऊ नका खाऊ 
वैरी पावसानं 
नेला माझा भाऊ


महापुरामधे 
घरदार गेलं 
जुल्मी  पावसानं 
दप्तरही नेलं 


भांडी कुंडी माझी 
खेळणी  वाहिली 
लाडकी बाहुली
जाताना पाहिली  


हिम्मत द्या  थोड़ी 
उसळू द्या रक्त 
पैसाबिसा नको 
दप्तर द्या फ़क्त 
                                           ---------- अशोक कौतिक कोळी

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